इयक बर इयक रतनपर गाम में बिरजू नाम को माणस रहकरो हो। ऊ ढ्‍वोरन सू घणो प्‍यार करकरो हो। वासू काई ढ्‍वोर को दुख द्‍येखो ना जाकरो हो। इयक दिन बिरजू लकड़ी काटकेनी घर लू आरो हो। दगड़ा वाने नाहर द्‍येखो। बिरजू वासू डरपेनी दुबकगो। ऊ नाहर इयक माणस को सिकार करकेनी अपणी घुपा में जारो हो। नुकनी वाका पाम में इयक कांटो चुबगो। कांटा का दुख सू नाहर रोण लग्‍गो। बिरजू सू नाहर को दुख ना द्‍येखो गयो। फिर बिरजू वा नाहर के पिय चलोगो ओर वाको कांटो लिकाळ दियो। कांटो लिकळकेनी नाहर खुसी ह्‍वोगो ओर बिरजू हअ चांटकेनी अपणी घुपा में चलोगो। कुछ दिन पाछे डांकू सटियेटा गिदावड़ा का ढ्‍वोरन्‍ने पकड़केनी ल्‍येगा। डांकू वन ढ्‍वोरन की लड़ाई करवाकरा हा ओर मजा ल्‍येकरा हा। इयक दिन डांकू नाहर हअ पकड़केनी ल्‍येगा ओर नाहर की लड़ाई बिरजू सू करवाण लग्‍गा। नाहर ने बिरजू पिछाण लियो अक यू तो ऊई माणस हअ जाने म्‍येरा पाम मेंसू कांटो लिकाळो हो। नाहर ने बिरजू सू लड़ाई ना करी ओर बिरजू हअ चांटकेनी चलोगो। या तरया बिरजू की ज्‍यान बचगी।

सीक-हमने गिदावड़ा का ढ्‍वोर ना मारणा चहियां।